ए टी एम कार्ड रखने वाले व्यक्ति को
फ्री में इन्श्योरेन्स भी मिलता है-
लेकिन ये इन्श्योरेन्स क्या है, इसका प्रोटेक्शन किस हद तक है,
कार्ड होल्डर की डेथ होने के बाद इस इन्श्योरेन्स का क्लेम कैसे मिलेगा
ये बातें बहुत कम लोगों को पता है
इसलिए हमें लगा कि इस सबजेक्ट को भी कवर करना चाहिए ताकि
आमजन को जानकारी मिल सके-
इसलिए इस विडियो में इन्ही सारी चीजों को कवर किया गया है।
इस विडियो में हम बेसिकली SBI डेबिट कार्ड की बात करेंगे,
बाकी बैंकों के डेबिट कार्ड पर मिलने वाला इन्श्योरेन्स भी
लगभग समान ही होता है बस क्लेम की अमाउन्ट और रिक्वायरमेन्ट में
थोड़ा बहुत अन्तर हो सकता है।
दोस्तों एटीएम या डेबिट कार्ड इन्श्योरेन्स
या तो कार्ड प्रोवाईडर कम्पनी जैसे मास्टरकार्ड, वीजा,
रूपे आदि के द्वारा दिया जाता है
या बैंक और कार्ड प्रोवाईडर कम्पनी दोनों साथ मिलकर देती हैं-
इस इन्श्योरेन्स में सबसे पहले समझने वाली बात तो ये है
कि ये एक्सीडेन्टल इन्श्योरेन्स होता है
मतलब कि अगर एक्सीडेन्ट से कोई डेथ हुई हो या कोई
परमानेन्ट डिसेबलिटी हो गई हो
तो ही इस इन्श्योरेन्स का कवर मिल सकता है नोरमल डेथ के मेटर में डेबिट
कार्ड इन्श्योरेन्स का कोई मतलब नहीं है।
लोग अलग-अलग प्लेटफार्म पर इन्श्योरेन्स की जानकारी लेकर
नोरमल डेथ पर भी क्लेम करने पहुंच जाते हैं,
तो ऐसा नहीं करें क्योंकि ये क्लेम एक्सीडेन्ट के मेटर्स में ही देय होगा।
दुसरी इम्पोर्टेन्ट बात ये कि क्लेम के लिए शर्तें क्या होंगी
और क्लेम की अमाउन्ट क्या होगी
तो क्लेम अमाउन्ट तो हर टाईप के कार्ड के लिए अलग-अलग होती है-
एसबीआई की बात करें तो एस बी आई में एस बी आई गोल्ड कार्ड,
प्लेटिनम कार्ड, प्रीमियम कार्ड और सिग्नेचर कार्ड प्रचलित हैं जिनमें से
गोल्ड कार्ड पर 2,00,000 का बीमा मिलता है,
प्लेटिनम कार्ड पर 5,00,000 का, प्रीमियम बिजनेस कार्ड पर भी
5,00,000 का इन्श्योरेन्स होता है
और एस बी आई सिग्नेचर डेबिट कार्ड पर 10,00,000 का इन्श्योरेन्स मिलता
और अगर एयर एक्सीडेन्ट में कोई डेथ हुई है तो
ये अमाउन्ट डबल हो जाती है यानि एयर एक्सीडेन्ट से
से डेथ होने पर क्लेम के रूप में मिलने वाली अमाउन्ट
4,00,000 रूपये से 20,00,000 रूपये तक होगी।

ए टी एम कार्ड रखने वाले व्यक्ति को
फ्री में इन्श्योरेन्स भी मिलता है-
लेकिन ये तभी मिलता है जब कार्ड होल्डर
उस कार्ड को रेगुलर युज करता हो,
ऐसा नहीं होना चाहिए कि अकाउन्ट खुलवाया तब
कार्ड साथ में मिला लेकिन उसको बस घर में लाकर रख दिया
और युज ही नहीं किया। किसी भी स्थिति में
क्लेम करने के लिए ये जरूरी है कि एक्सीडेन्ट की डेट से
पहले की नब्बे दिनों की अवधि में उस कार्ड को युज किया गया हो
नहीं तो ये इन्श्योरेन्स कवरेज नहीं मिलेगी।
और एयर एक्सीडेन्ट के मेटर में डबल क्लेम तभी मिलेगा जब आपने
वही डेबिट कार्ड युज करते हुए फ्लाईट का टिकट करवाया हो
जिस फ्लाईट का एक्सीडेन्ट हुआ है।
अगर आपके पास एस बी आई का रूपे डेबिट कार्ड है
तो इन्श्योरेन्स कवर एक से दो लाख रूपये तक का होगा
लेकिन इसमें एक्सीडेन्ट की डेथ के पहले के 45 दिनों में
कार्ड का युज किया होना जरूरी है।
कार्ड का युज जरूरी नहीं है कि आपने ए टी एम पर ही किया हो
बल्कि किसी भी ऑनलाईन ट्रान्जेक्शन के लिए कार्ड युज किया गया है
तो आपको एक्सीडेन्टल इन्श्योरेन्स कवर मिल जाएगा।
इसके अलावा डेबिट कार्ड से आप कोई शॉपिंग करते हैं
तो आपको परचेज प्रोटेक्शन भी मिलता है।
परचेज प्रोटेक्शन इन्श्योरेन्स का क्लेम तब मिलता है जब
आपने कार्ड से कोई शॉपिंग की हो
और शॉपिंग के नब्बे दिनों के भीतर अगर आपका वो सामान घर से या आपके
व्हिकल से चोरी हो जाता है- परचेज प्रोटेक्शन की अमाउन्ट
गोल्ड कार्ड पर 5000 रूपये, प्लेटिनम कार्ड पर 50,000 रूपये,
प्रीमियम बिजनेस कार्ड पर 50,000 रूपये
और सिग्नेचर डेबिट कार्ड पर 1,00,000 रूपये हौता है
एक और सैलरी पैकेज एकाउन्ट भी होता है
अगर आपने सैलरी पेकेज एकाउन्ट पर डेबिट कार्ड लिया हुआ है
तो परचेज प्रोटेक्शन इन्श्योरेन्स का कवर 2,00,000 रूपये
तक का मिलता है।
अब सबसे जरूरी बात कि डेबिट कार्ड इन्श्योरेन्स का क्लेम कैसे होगा
तो दोस्तों ध्यान रहे कि एक्सीडेन्ट की एफ आई आर जरूर करवानी है
क्योंकि ये सबसे इम्पोर्टेन्ट डोक्यूमेन्ट होगा
क्लेम के लिए। किसी भी एक्सीडेन्टल डेथ या
डिसेबलिटी होने पर आपको उसी बैंक से क्लेम फॉर्म मिल जाएगा
जिसको पुरा भरकर, साथ में एफ आई आर, चार्जशीट या एफ आर की कॉपी,
पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि की कॉपी लगाते हुए
और क्लेम करने वाले व्यक्ति जो कि एकाउन्ट होल्डर की डेथ की स्थिति में एकाउण्ट
हॉलडर का नॉमिनी या मरने वाले व्यक्ति के उत्तराधिकारी होते हैं,
उनके आई डी, बैंक डिटेल्स आदि साथ में लगाते हुए
आपको क्लेम फाईल करना होता है।
जनरली क्लेम फाईल करने के 90 दिनों में क्लेम को सेटल कर दिया जाता है
और रूपये बेनिफिशियरी के अकाउन्ट में आ जाते हैं।
क्लेम एक्सीडेन्ट के बाद कितने दिनों में फाईल किया जाए, इसके बारे में
कोई स्पेशिफिक नियम तो नहीं है
लेकिन जितना जल्दी हो सके, क्लेम फाईल कर देना चाहिए
अगर क्लेम फाईल करने में तीन चार महिने से ज्यादा लेट हो तो
इन्श्योरेन्स कम्पनी इस आधार पर भी क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।